धोरों में बेमौसम बारिश से बदली खेतों की तकदीर, असिंचित क्षेत्र में एक लाख हेक्टेयर में रबी फसलें बोई

सूखे व प्राकृतिक आपदाओं की मार झेल रहे बाड़मेर-जैसलमेर में पहली बार बेमौसम बारिश ने दो लाख किसानों की तकदीर ही बदल डाली। हर दूसरे साल सूखा तो यहां की नियति बन चुकी है। इस साल खरीफ फसलें भी अच्छी नहीं हुई। सीजन के बाद बेमौसम बारिश होने पर किसानों ने कुदरत पर भरोसा कर 20 साल बाद पहली बार रबी फसलों की बुवाई का दांव खेला। दोनों जिलों के धरती पुत्रों ने कर्ज लेकर फसलों की बुवाई कर ली। मौसम ने साथ दिया और फिर बारिश होने से तारामीरा,सरसों, चना व गेहूं की फसलें अंकुरित होने के बाद लहलहाने लगी है। 



एक माह में खेत हरे-भरे हो गए। पीली सरसों की मानों चादर बिछी है। कुदरत के करिश्मे से हर तरफ सूखे खेतों में छाई हरियाली सुकून दे रही है। दोनों जिलों में करीब एक लाख असिंचित खेतों में रबी फसलें पकने को है। इस बार धोरों में रबी की बंपर पैदावार का अनुमान है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार सूखे बाड़मेर व जैसलमेर में सिर्फ एक बारिश से रबी फसलें पककर तैयार हो जाएगी। एेसा ही माैसम रहा ताे बाड़मेर व जैसलमेर में बंपर पैदावार से किसानों की जेब में चार अरब रुपए आने का अनुमान है। इतना ही नहीं पशुओं के लिए चारा भी पर्याप्त हो जाएगा। कृषि विभाग के आंकड़ें बताते हैं कि बीते 20 साल में असिंचित क्षेत्र में इतनी बुवाई कभी नहीं हुई।



धोरों पर होगी बंपर पैदावार
कृषि विभाग के सहायक निदेशक पदमसिंह भाटी का कहना है कि बाड़मेर व जैसलमेर में बेमौसम बारिश होने पर किसानों ने असिंचित क्षेत्र में भी रबी फसलों की बुवाई कर दी। मौसम ने भी साथ दिया और बुवाई के 20 दिन बाद फिर हल्की बारिश हो गई। नमी व अनुकूल मौसम के कारण तारामीरा, सरसों, गेहूं व चना फसलों की अच्छी ग्रोथ हुई है। फसलें एक माह बाद पककर तैयार हो जाएगी। पहली बार खरीफ क्षेत्र में रबी की बंपर पैदावार होगी। इतना ही नहीं सिंचित क्षेत्र में टिड्‌डी हमल से रबी फसलें तबाह हो गई थी, लेकिन किसानों ने देरी से तारामीरा की बिजाई कर दी। उन खेतों में भी फसलें लहलहाने लगी है। इससे टिड्‌डी से हुए नुकसान की भरपाई होने का अनुमान है। 



खुशहाली की कहानी
जैसलमेर का साकड़ा गांव। करीब 500 बीघा जमीन पर दर्जनों किसानों ने तारामीरा, सरसों समेत अन्य फसलों की बुवाई की है। हर खेत में हरियाळी छाई है। किसान बताते हैं कि पहली बार असिंचित क्षेत्र में रबी फसलें बोई और मौसम ने साथ दिया। एक माह बाद फसलें पककर तैयार भी हो जाएगी। कुदरत की मेहर ने किसानों की तकदीर ही बदल दी है। आमतौर पर इस मौसम में घास तक नहीं उगती है।
बाड़मेर का बोला व बिशाला गांव। दोनों गांवों में करीब एक हजार बीघा से अधिक जमीन पर सरसों, तारामीरा की फसलें लहलहा रही है। किसान डालूराम मायला बताते हैं कि इस बार अच्छी बारिश नहीं होने से खरीफ फसलों की पैदावार कम हुई। फसलें लेने के बाद हुई बारिश पर किसानों ने रिस्क लेते हुए रबी फसलों की बुवाई की। एक माह में ही फसलें तीन से चार फीट की हो गई है।


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