निर्भया के गुनहगारों को फांसी: लखनऊ के युवा बोले- नजीर बनेगा फैसला, खौफजदा होंगे अपराधी

निर्भया के गुनहगारों को 22 जनवरी को फांसी दी जाएगी। कोर्ट ने मंगलवार को इस फैसले पर मुहर लगा दी। लखनऊ के युवाओं में इसे लेकर अलग-अलग धारणा है। पर, सभी मानते हैं कि इस फैसले को सुनाने में काफी देर कर दी गई। सभी यह भी मानते हैं कि यह फैसला नजीर बनेगा और अपराधियों के मन में खौफ पैदा करेगा। पेश है रिपोर्ट...


रेप जैसे मामलों में त्वरित हो फैसला
मृत्युदंड केफैसले से कम से कम लोगों में संदेश तो जाएगा कि अपराध की सजा मिलती है। दुष्कर्म या सामूहिक बलात्कार करने वाले दुराचारी अपराध को अंजाम देने से पहले कम से कम सोचेंगे तो सही। इतने लंबे इंतजार को देख कर फास्ट ट्रैक कोर्ट की जरूरत महसूस होती है। अपराध खासकर रेप जैसे मामलों में त्वरित फै सला जरूरी है।
कविता पांडेय, स्टूडेंट, लविवि


ऐसे मामलों में फैसले में न हो देरी
हमें उम्मीद थी कि इस केस में फैसला जल्दी आएगा। हालांकि इससे यह तो नहीं कहा जा सकता कि रेप के मामले रुक जाएंगे, लेकिन एक उम्मीद तो है। फैसले की खबर आने के बाद मेरे मन में ये सवाल उठा कि इतनी देर क्यों? निर्भया मामले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। लोगों ने न्याय की आस में इतना संघर्ष किया। मेरा मानना है कि ऐसे अपराध को अंजाम देेने वालों के खिलाफ फैसला लेने में देरी न की जाए। - विदुषी अग्रवाल, स्टूडेंट, आईटी कॉलेज


मील का पत्थर साबित होगा यह फैसला
निर्भया मामले में कोर्ट का फैसला उन महिलाओं की जीत है, जो किसी भी प्रकार की हिंसा या उत्पीड़न का शिकार हैं। यह फैसला उन पुरुषों के लिए सबक है जो महिलाओं के उत्पीड़न, दमन, और उन पर ताकत के इस्तेमाल को अपना अधिकार समझते हैं। सामूहिक बलात्कार जैसी घटनाएं न केवल महिलाओं के प्रति की गई हिंसा है, बल्कि यह सामूहिक दमन भी है। यह जघन्य अपराध है और इसके लिए मृत्युदंड का फैसला मील का पत्थर साबित होगा। उम्मीद है कि इस फैसले से लोगों की सोच बदलेगी जिससे हमारे समाज में निर्भया जैसी घटनाएं दोबारा नहीं होंगी।
डॉ. सुप्रिया सिंह, असि. प्रोफेसर, खुनखुनजी गर्ल्स डिग्री कॉलेजवैचारिक और मानसिक तौर पर बदलाव लाने होंगे
सैद्धांतिक तौर पर तो कोई भी सभ्य समाज मृत्युदंड के खिलाफ होता है, लेकिन कोर्ट के इस फैसले से महिलाओं को राहत मिलेगी और उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा। जो भी लोग कानून की लड़ाई लड़ रहे हैं, उन्हें संतोष मिलेगा। साथ ही न्यायिक प्रक्रिया में उनका विश्वास बढ़ेगा। अपराध रुकेगा या नहीं, यह तो भविष्य बताएगा। अपराध को खत्म करने के लिए वैचारिक और मानसिक तौर बदलाव लाने होंगे।
अनुराग पांडेय, स्टूडेंट, बीबीएयू